नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) बहुमत से पास हो गया. इस बिल के पक्ष में 454 संसद सदस्यों ने वोट किया. विपक्ष में केवल 2 वोट पड़े. वहीं आज इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाना है. यदि यह विधेयक राज्यसभा में पेश हो जाता है तो 27 सालों का जो इंतजार खत्म हो जाएगा.
बता दें, लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी इस पर चर्चा के लिए 7:30 घंटे का वक्त निर्धारण किया गया है. इसके बाद इस पर वोटिंग होगी. अगर राज्यसभा में भी यह बिल पास हो जाता है, तो इसे कानूनी बनाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हस्ताक्षर के लिए भेज दिया जाएगा.
महिला आरक्षण बिल पिछले 27 सालों से यह बिल लंबित है. पार्टियों के बीच आम सहमति नहीं बनने के कारण इसे अब तक कानून नहीं बनाया जा सका. 2010 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में इस बिल को राज्यसभा में पेश किया गया था. सपा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राजद के सांसद बिल के विरोध में सदन में अनुपस्थित रहे. कुल 186 राज्यसभा सदस्य उपस्थित थे, जिनमें से केवल एक वोट बिल के खिलाफ पड़ा था.
आपको बता दें कि महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद केवल चुनाव प्रणाली यानी लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित होगी. राज्यसभा और विधान परिषद या विधान मंडलों पर यह लागू नहीं होगा.