बिहार में अंबेडकर जयंती के जश्न को राजीतिक रूप दिया जा रहा है. एक तरफ जदयू और राजद के साथ महागठबंधन के दल खुद को दलितों का सबसे बड़ा हिमायती बताने में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा ने कांग्रेस और लालू-राबड़ी पर दलितों को ठगने का आरोप लगाया है. भाजपा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लालू-राबड़ी के शासनकाल की बात करते हुए कहा कि उनके शासनकाल में बिहार में नरसंहार की अनेक घटनाएं हुई थीं. साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर बाबा साहेब को अपमानित करने का आरोप लगाया.
बता देें कि आज पूरा भारत अंबेडकर जयंती मना रहा है. ऐसे में ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाने वाला राज्य बिहार कैसे पीछे हटता. लेकिन बिहार में तो अंबेडकर जयंती का रंग राजनीतिक हो चला है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बिहार में बाबा साहेब के नाम पर राजनीति की जा रही है. दरअसल, शुक्रवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें सुशील मोदी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी समेत पार्टी के तमाम नेता शामिल हुए.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुशील मोदी ने कांग्रेस और राजद पर जोरदार जुबानी हमला किया. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब जिस सम्मान के हकदार थें कांग्रेस ने उन्हें वो सम्मान नहीं दिया. कांग्रेस की सरकार में उन्हें भारत रत्न की उपाधि नहीं मिली. बाबा साहेब को यह उपाधि बीपी सिंह की सरकार में मिली.
मोदी ने आगे कहा कि सांसद में कांग्रेस के जमाने में बाबा साहेब का चित्र तक नहीं लगा. यह कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है. सुशील मोदी यहीं नहीं रूकें. उन्होंनेे आगे राजद पर भी हमला बोला और कहा कि राजद के जमाने में 15 साल में एक दर्जन सामूहिक नरसंहार हुए. लाइन में खड़ा कर दलितों को गोलियों से भून दिया गया. वही लोग आज अंबेडकर साहेब की जयंती मना रहे हैं. मोदी ने कहा कि जब से बिहार में एनडीए की सरकार बनी है तब से एक भी दलित नरसंहार नहीं हुआ है.
भाजपा नेता ने कहा कि राजद और कांग्रेस का चरित्र दलित विरोधी है जबकि पीएम मोदी की सरकार ने दलितों के लिए बने एससी-एसटी एक्ट को और कठोर किया. अंबेडकर के 5 स्थान को नरेंद्र मोदी ने पंचतीर्थ घोषित किया. दलित बड़ी संख्या में मुसलमान और ईसाई बन गए. सुशील मोदी ने कहा कि ऐसे दलित जिन्होंनेे धर्म परिवर्तन कर लिया वह भी दलित आरक्षण की मांग करते हैं लेकिन भाजपा इसका पक्ष नहीं लेती. भाजपा इस लड़ाई को जहां तक संभव होगा लड़ेगी. उन्होंने कहा कि अंबेडकर को लगा कि वह भारतीय संस्कृति से दूर हो जाएंगे इसलिए उन्होंने मुस्लमान या ईसाई धर्म अपनाने के बजाए बौद्ध धर्म को अपना लिया.
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