आज विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) है. इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है लोगों को मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों से जागरूक करना. एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में कुल 106 देशों में 3.3 बिलियन लोगों को मलेरिया का खतरा है. इसलिए मलेरिया को नियंत्रित करने के उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल 2008 को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया जाता है.
बिहार में मनाया गया विश्व मलेरिया दिवस
विश्व मलेरिया दिवस पर बात करें बिहार की तो राज्य में वर्ष 2021 में कुल 304635 लोगों की मलेरिया जांच की गई थी. इसमें 647 लोग ही मलेरिया पीड़ित मिले. इस दौरान राज्य में किसी की मलेरिया से मृत्यु नहीं हुई. वर्ष 2021 में राज्य के 38 जिलों में से छह जिले ऐसे थे, जहां एक भी मलेरिया पीड़ित नहीं मिला. इसमें भोजपुर, दरभंगा, किशनगंज, मधेपुरा, शेखपुरा और सीवान जिला शामिल है.
वहीं इस मौके पर बिहार सरकार की ओर से राजकीय मध्य विद्यालय शेखपुरा के बच्चों के बीच मलेरिया के लक्षण एवं उससे बचाव के उपाय बताए गए. इस मौके पर स्वास्थ्य सेवा के अपर निदेशक ने बताया कि बिहार में मौसम के अनुसार डेंगू, मलेरिया के अलावा चमकी बुखार के भी प्रकोप फिल्हाल बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं. इसे देखते हुए जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है.
बता दें कि मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करने केे लिए सरकार की ओर से संध्या चौपाल, ग्रामीण महिलाओं को टोला स्तर पर जागरूक करना, स्कूली बच्चों के बीच बचाव एवं लक्षण के उपाय बताना जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. ऐसे कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ता और एएनएम की भी मदद ली जा रही है.
पहली बार कब और क्यों मनाया गया था विश्व मलेरिया दिवस?
पहली बार ‘विश्व मलेरिया दिवस’ यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा मनाया गया था. इसका उद्देश्य था मलेरिया जैसे खतरनाक रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना, जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं. भारत ने साल 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा. इसके लिए सरकार के स्तर पर कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.
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