सर्द मौसम,
बासंती फूल,
गुनगुनी धूप का स्पर्श,
और तुम्हारी बाते
एक साथ, कितना सुंदर हैं।
बरामदे में आना तब,
एक दूजे को देख ,
हमारा मुस्कुराना तब
एक साथ कितना सुंदर हैं।
वो शुष्क हवाओ का मेरे झुमके से टकराना,
फिर उन हवाओ का मेरी ज़ुल्फों को लहराना,
और तुम्हारा यूँ मेरी, मुस्कुराहट को निहारना,
एक साथ कितना सुंदर हैं।
कि परेशानियों को बरामदे में ,किसी खूंटे में टांग देना,
उलझनों को धूप में पसार देना,
“दुःखो “को ,”चंद हसी लम्हो “से भाग देकर,
शेषफल में, “जीने की फनकारी “को चुनना
चाहे परिस्थिति जो भी रही हो, तुम्हारा
अपनी मन की डायरी में, मेरी तस्वीर को रखना,
एक साथ कितना सुंदर हैं,
एक साथ सबसे सुंदर है
जीने की कलाकारी का आ जाना,
कि बार बार गिरकर उठना सीख जाना,
कि सफर जैसा भी हो,उसे तय करना आ जाना ,
की मंज़िल तो आखिरी पड़ाव हैं।
पर सफर में अनगिनत उतार चढ़ाव हैं।
कि चाह लो तो ,सब कुछ सम्भव हैं।
की ज़िंदगी हर दिन एक नया अनुभव हैं।
इन सब बातो का, समझ आ जाना,
एक साथ इतना सुन्दर हैं।
कि एक साथ सबसे सुंदर हैं।