बारिश का मौसम क्या आता है, हम फुहारों को निहारते चाय और पकौड़े का लुत्फ़ उठाने के लिए चहक उठते हैं. लेकिन जब लंच और डिनर का वक्त हो और बारिश की जिद से घर से नहीं निकल पाने की विवशता हो, तो ऐसे समय में दादी-नानी-मां के हाथों बनी ऐसी कई रेसिपी याद आती हैं जिसे तुरंत बना सकें और स्वाद भी बरकरार रहे. ऐसे में सहज हीं दाल पीठी, जिसे ‘दाल की दुल्हन’ भी कहा जाता है, जेहन में तैर आती है. बिहार और झारखंड (Bihar and Jharkhand Cuisine) का यह व्यंजन ऐसे वक्त में भी जब सब्जियां ना हों फ्रिज में तो आसानी से बनाया जा सकता है.
किचन में आसानी से दाल पीठी (Dal Pithi) बनाने की उपलब्ध सामाग्री
दाल के बिना बिहारी हीं नहीं, भारतीय खाना चाहे लंच हो या डिनर अधूरा है. ऐसे जगहों पर जहां हरी सब्जियांं बहुतायत में नहीं मिलती, दाल पीठी सहज हीं हम बना लेते हैं. मौसम भी चाहे कोई हो, दाल पीठी घर की रसोई में जगह बना हीं लेती है क्योंकि इसकी सामाग्री (Ingredients of Dal Pithi) किचन में आसानी से उपलब्ध होती है.
बिहार में गंगा नदी का क्षेत्र (Ganga Region) जहां चावल, गेहूं और दलहन-तिलहन फसलें बहुतायत में उगाई जाती हैं, इसलिए भी दाल पीठी जैसी रेसिपी, स्वाद और सेहत से समझौता किए बिना घर-घर में बनाई और मेहमानों को परोसी जाती है.
बिहारी भोजन की समृद्ध परम्परा
दाल पीठी या दाल की दुल्हन अपने आप में एक संपूर्ण मील है. यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और सुगंधित स्थानीय मसालों (Spices of Dal Pithi)) से तैयार की जाती है. कभी- कभी सब्जियां डालकर भी इसका आनंद लिया जा सकता है. वहीं इटैलियन पास्ता भले हीं ड्युरम गेहूं (wheat) से बनी होती है और मैक्रोनी भी, किंतु दाल की दुल्हन के आगे फीकी है.
बदलते वक्त के साथ खाने की परम्परा में भले विविधता आई है, पर बिहार के समृद्ध भोजन (Cuisine of Bihar) के तौर-तरीके सीखना और सहेजना भी हमारा हीं दायित्व है. बिहार के जायकों का आनंद घर से लेकर सड़कों तक उठाया जा सकता है. आज कई शेफ़ ने भी बिहारी व्यंजनों पर अपना हाथ आजमाया है और स्वाद को बरकरार रखने की कोशिश में जाने कितनी हीं गलियां छानी हैं.
दाल की दुल्हन बनाने की सामान्य विधि
दाल की दुल्हन या दाल पीठी (Dal Pithi Recipe) में यूं तो कई दालों का चुनाव कर सकते हैं पर सामान्यतः मसूर दाल में स्वाद उभरकर आता है. दाल पीठी कई आकार के बनाए जाते हैं. विशेष रूप से आटे की पूड़ी के आकार में बेलकर फूल (Dumplings) बना कर दाल की दुल्हन की सजावट देखते हीं बनती है. एक पतीले में दाल धोकर पानी डाल, उसमें नमक, हल्दी, हरी मिर्च, प्याज और साबुत लहसुन के टुकड़े डालकर उबाला जाता है. दाल के पकते हीं उसमें आटे से बने फूल (Dumplings) डाल दी जाती है. और जब फूल दाल में तैरने लगें तो दाल की दुल्हन तैयार हो जाती है. फिर घी गर्म कर उसमें जीरा, लहसुन, साबुत लाल मिर्च और हींग से तड़का लगाया जाता है. फिर धनिया पत्ते से सजाकर (Garnishing of Dal Pithi) परोसा जाता है. इसे रायता और सलाद के साथ भी खाया जाता है.
बिहारी भोजन संस्कृति का अंग है दाल पीठी
दाल की दुल्हन की रेसिपी (Dal Pithi Recipe) जहां पीढ़ियों से चिर-परिचित तरीके से चली आ रही, वहीं आज की पीढ़ी भी इस देसी स्वाद को उत्सुकता से सीख रही. बिहार अपनी संस्कृति (Bihari Tradition) को कायम रखते हुए कई रेसिपी को, जहां ज्यों का त्यों हस्तांतरित करने के प्रयास में जुटा है , वहीं पश्चिम के परिवर्तन के साथ इन्हें दूध में शक्कर के घुल जाने की तरह संभाल कर रखता जा रहा.
बिहार के पुरखों की रसोई गूगल में ढ़ूंढ़ घर की यादों को संजोना
बिहार के लोग भले कहीं भी जाएं पर अपनी माटी के स्वाद से जुड़े रहते हैं. बिहार की थाती केवल यहां रहने वाले हीं नहीं बल्कि प्रवासियों की भी संजोकर रखने की जिम्मेदारी है. यहां की पहचान कायम रखना हमारा कर्तव्य है, दायित्व है. यहां रह रहे लोग तो अपनी माटी की खुश्बू को सहेजकर रखने की हर संभव कोशिश करते हीं हैं, तो वहीं बाहर गए बिहार के लोग भी घर की यादों को अपने खाने में संजोकर रखते हैं. और यह सच भी है कि आज की उथल-पुथल भरी जिंदगी में भी बिहार के लोग पुरखों की रसोई गूगल में ढ़ूंढ़ते रहते हैं. अपनी परम्पराओं और संस्कृतियों का निर्वहन करते हुए अपनी जड़ों से अलग रहना मानों बिहार के लोगों ने अपनाया और सीखा हीं नहीं.
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