- इसरो ने आज अपने तीसरा मून मिशन चंंद्रयान-3 को लॉन्च किया
- पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मून मिशन पर टिकी हुई हैं
- चंद्रयान-3 अमेरिका और चीन के मून मिशन से काफी कम बजट से तैयार हुआ है
आज भारत ने अंतरिक्ष में इतिहास रचने का काम किया है. शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 (Chandrayan-3) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 (Chandrayan-3)की सफल लॉन्चिंग हुई है. चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो (ISRO) को बधाई दी है.
पूरी दुनिया की निगाहें भारत के इस मून मिशन पर टिकी हुई थी.चंद्रयान-3 को LVM3-M4 रॉकेट से लॉन्च किया गया. LVM-3 एक भारी-भरकम प्रक्षेपण यान है, जो अंतरिक्ष में एक बड़ा पेलोड ले जा सकता है. यह इसरो द्वारा विकसित अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है.
Chandrayan-1 और Chandrayan-2 से कैसे अलग है ये मिशन?
इसरो (ISRO) द्वारा लॉन्च किए जा रहा चंद्रयान-3 (Chandrayan-3)पहले के मिशन से थोड़ा अलग है. चंद्रयान-1 में इसरो ने केवल ऑर्बिटर रखा था. चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी थे. वहीं अब चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं है, लेकिन लैंडर और रोवर रहेंगे. यहां आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन को साल 2021 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी हुई. बता दें कि चंद्रयान-2 में लैंडर क्रैश हो गया था और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) को इसका मलबा मिला था.
2019 में ISRO ने चंद्रयान-2 (Chandrayan-2) को किया था लॉन्च
बता दें कि इसरो ने साल 2019 में चंद्रयान 2 (Chandrayan-2) को लॉन्च किया था. चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग तो सफल हुई थी लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान यह मिशन फेल हो गया था. अब चार साल बाद इसरो ने चंद्रयान 2 के अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए चंद्रयान 3 (Chandrayan-3) की लॉन्चिंग की है. 24-28 अगस्त के बीच चंद्रयान 3 (Chandrayan-3) के चांद की सतह पर उतरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और करीब 42 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद चंद्रयान 3 (Chandrayan-3) चांद पर पहुंच जाएगा.
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