हिंदुओं में एक खास पर्व होता है जीवित्पुत्रिका. यह पूजा संतान की लंबी आयु, उन्नति तथा आरोग्य के लिए किया जाता है. इसे जितिया व्रत (Jitiya Vrat) भी कहते हैं. इस बार यह व्रत 6 अक्टूबर (Jitiya Vrat 2023) को मनाया जाएगा. इस व्रत में महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु के लिए निर्जल व्रत रखती है और जीवित्पुत्रिका की पूजा करती है. इस पर्व को मुख्यत: बंगाल, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है.
Jitiya Vrat Vidhi: जानें कैसे मनाएं जितिया पर्व
इस पूर्व के दिन महिलाएं बिना जल व भोजन ग्रहण किए एक दिन का व्रत रखती हैं. वहीं शाम के वक्त पूजा होती है. पूजा करने से पहले पूजा स्थल को गाय के गोबर से स्वच्छ किया जाता है. वहीं इस बात का ध्यान रखें कि आपके पूजा स्थल के पास ही कोई तालाब या झील हो. यदि ऐसा न हो तो आप मिट्टी में गड्ढा कर के खुद ही छोटा-सा तालाब बना लें. इस तालाब के पास पाकड़ की डाल ला कर खड़ा कर दें. इसके बाद शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल (या मिट्टी) के पात्र में स्थापित कर पीली और लाल रूई से अलंकृत करें. इसकी पूजा करें. पूजा के लिए धूप, दीप, अक्षत, फूल माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों का इस्तेमाल करें. इसेक बाद व्रत माहात्म्य की कथा पढ़ें.
इसके अलावा अपने घर में भी देवी-देवता की पूजा करें. फूल, पान, फल और तरह-तरह के मिठाई चढ़ाएं. दूसरे दिन स्नान कर के पूजा करें और बच्चों को प्रसाद. बच्चों को अपना आशीर्वाद दें और उनके स्वास्थ्य, लंबी उम्र, और प्रगति के लिए भगवान से प्राथना करें.