Kathak Dancer Sitara Devi: धनतेरस पर इस दुनिया में आईं धनलक्ष्मी सचमुच सितारा बन गईं!

Kathak Dancer Sitara Devi: मुंबई के आतिया बेगम पैलेस में सितारा देवी ने कथक की जो प्रस्तुति दी थी उसे नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू और पारसी व्यापारी सर कोवासजी जहांगीर ने देखा था. केवल 16 वर्ष की उम्र में सितारा देवी ने अपनी प्रस्तुति से चुनिंदा दर्शकों का दिल जीत लिया. वहां बैठे गुरूदेव टैगोर इतने अभिभूत हुए कि उन्होंने सितारा देवी को ‘नृत्य सम्राज्ञी’ (Kathak Queen) की उपाधि से नवाजा. सितारा देवी के लिए जीवन का अनमोल उपहार था यह.

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धनतेरस पर पैदा हुईं सितारा देवी की अकथ यात्रा

कहते हैं कि उनका जब जन्‍म हुआ था तो माता-पिता ने उनको अपनी नौकरानी को सौंप दिया था क्योंकि उनका मुंह थोड़ा टेढ़ा था. नौकरानी ने बचपन में सितारा देवी की खूब सेवा करके उनका मुंह ठीक कर वापस उन्हें लौटा दिया.

8 नवम्बर को धनतेरस को पैदा होने की वजह से लोग उन्हें ‘धनलक्ष्मी’ और फिर ‘धन्नो’ कहकर बुलाने लगे थे. काशी के कबीरचौरा की गलियों में पली यही धन्नो कब सितारा बनकर छा गईं…पता नहीं चला. पर यह सच था और रहेगा.

कत्थक को पुनर्जीवित करने की ठानी

उनके पिता सुखदेव महाराज के मित्र के सिनेमा हॉल में मध्यांतर में सितारा देवी 15 मिनट की नृत्य प्रस्तुति भी देती थीं. दिग्गज उर्दू लेखक मंटो ने तो सितारा देवी को तूफ़ान कह डाला था. कई फ़िल्मों में अदाकारी करते हुए भी कत्थक को पुनर्जीवित करने की ऊर्जा बनी रहीं उनमें. भारतीय शास्त्रीय कला के साथ हीं पश्चिमी कला को भी अपने रंग में ढ़ाला और खुद को भी निखारा. बड़ी बहन तारा देवी से भी सीखा जो गोपी कृष्ण की मां थी. बिरजू महाराज के पिता अच्छन महाराज से भी सीखा.

कत्थक नृत्य के लिए खुद को समर्पित कर दिया सितारा देवी ने

के. आसिफ़ संग विवाह के संबंध भी जीवन में रंग नहीं भर सके. मुग़ल -ए -आजम बनाने वाले के. आसिफ़ से रिश्ते में प्रेम के बावजूद भी खराश़ आ गई जब मीना कुमारी से वो नजदीक आए. पुनः प्रताप बारोट को भी वह रोक नहीं पाईं. और दो- दो विवाह संबंधों में मिली चोट से खुद को उबारा और तल्लीनता से नृत्य संसार में नए अन्वेषण में जुट गईं. अपने शिष्यों में नृत्य की बारिकियों का बीज रोपा और खुद को नृत्य को सौंप दिया.

इमेज क्रेडिट: गुगल डूडल

ठीक 97 साल पूरे होने के सम्मान में सर्च इंजन गूगल ने जो डूडल बनाया था, उसमें वे गुलाबी रंग के परिधान में नृत्य की मुद्रा में नजर आ रही हैं. तस्वीर में उनके आसपास घुंघरू, तबला और सितार जैसे वाद्य यंत्र मिलकर ‘गूगल’ शब्द को पूरा कर रहे हैं.

परम्पराओं की विद्रोही सितारा देवी!

दुनिया याद रखेगी आपके कला के प्रति परिश्रम और अगाध प्रेम को!