हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को दुनियाभर में मदर्स डे मनाया जाता है. इस साल मर्दस डे (Mother’s Day Celebration 2023)आज यानी की 14 मई को मनाया जा रहा है. जैसे मां हमारे लिए खास होती हैं वैसे ही ये दिन उनके लिए खास होता है. आइए, इस मातृत्व दिवस पर जानते हैं कि एक मां की हमारे जीवन में क्या भूमिका है.
मां बनना इतना आसान नहीं होता. एक औरत जब मां बनती है तो वह अपनी सभी खुशियों को साइड में रख देती है. वह अपने बच्चों की सभी जरूरतों को बिना कुछ कहे पूरा करती है. लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसा करने के क्रम में वो मां से महान तो बन जाती है लेकिन एक आम इंसान जैसा जीवन नहीं जी पाती.

मां सुबह उठते ही बच्चे के लिए नाश्ता बनाने से लेकर उसके स्कूल का बैग सही करने में जुट जाती है. वो ये भूल जाती है कि उसे भी भूख लगी है. उसे अपनी खाली पेट वाली दवाई लेनी है. मां अपनेे बच्चों की खुशियों के आगे अपनी कितनी जरूरतें भूल जाती है. लेकिन जब कोई औरत ऐसा बनने में जरा भी चूकती है तो लोग उसे इस बात का ताना देते हैं कि वो कैसी मां है. ऐसे मुश्किल दौर से एक मां को ही क्यों गुजरना पड़ता है? क्या हम इस मदर्स डे (Mother’s Day) मां के लिए चीजें आसान नहीं बना सकते?
आइए, गौर करते हैं इन बिंदुओं पर जिससे मां के लिए हम कुछ चीजों को नॉर्मल बना सकें:
- मां भी थक सकती है
एक मां से ये हमेशा उम्मीद की जाती है कि वह कभी न थके. लेकिन आखिर वो भी तो एक इंसान है. फिर हम ‘मां’ ऐसा उम्मीद कैसे कर सकते हैं? कितना अच्छा हो अगर हम एक मां को मां ही रहने दें, कोई सुपर हीरो न बनाएं.
- मां अपना भी ख्याल रख सकती है
जरूरी नहीं कि एक औरत मां बनने पर अपनी सारी खुशियां त्याग दे. उसे भी हक है अपना जीवन जीने का, अपने पसंद की चीजें करने का, और खुल के जीवन जीने का. साथ ही मां को भी समय चाहिए कि वो अपना ध्यान रख सके. समय पर नाश्ता कर सके.

सोचिए, मां घर की नींव होती है अगर वो ही कमजोर हो गई तो फिर घर का क्या हाल होगा. इसलिए, इस मदर्स डे आप ये संकल्प लें कि आप भी अपने मां को उनका ख्याल रखने में मदद करेंगे. आप उन्हें इतना स्पेस और समय दें कि वो अपने पसंद की कोई चीज कर सके. जैसे फोन पर गेम खेलना, ऑनलाइन डांस या कुकिंग क्लास लेना, आदि.
- घर को गंदा रख सकती है
मां कोई साफ-सफाई की मूर्ति नहीं है. जिस तरह आप गीला तौलिया बिस्तर पर छोड़ देते हैं, स्कूल या अपने काम से वापस लौटने पर जूतों को यहां वहां फेंक देतेे हैं, वैसे ही मां को भी पूरा हक है कि वो हफ्ते में एक दिन साफ-सफाई छोड़कर आराम करे. मां को मां रहने दें, परफेक्ट न बनाएं.
- हर मां अलग होती है
जिस तरह हर बच्चे की क्षमता अलग होती है, वैसे ही हर मां भी एक जैसी नहीं होती. हर मां अलग होती है और इसलिए खास होती है. हर मां अपनेे बच्चे का देखभाल अपने तरीके से करती है. उनके प्यार करने का तरीका भी अलग होता है. इसका मतलब ये नहीं कि आप उन्हें जज करें.
- मां का भी कोई बुरा दिन होता है
ये दुनिया कभी-कभी भूल जाती है कि मां भी एक इंसान होती है जिसकी भावना होती है. मां का भी कोई दिन बेहद बुरा या खास हो सकता है. ऐसे दिन पर वो कई बार गलत फैसले ले सकती है, लापरवाही कर सकती है, और दु:खी हो सकती है. इसमें कुछ बुरा नहीं है और ये बहुत नॉर्मल है.
जानिए, क्यों मनाया जाता है मदर्स डे
मदर्स डे (Mother’s Day) मनाने की शुरुआत अमेरिकन महिला एना जॉर्विस ने की थी. हालांकि, औपचारिक रूप से मदर्स डे 9 मई 1914 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने की थी. उस समय अमेरिकी सांसद में कानून पास करके हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने का फैसला लिया गया. तब से अमेरिका, यूरोप और भारत सहित कई देशों में मदर्स डे धूमधाम के साथ मनाया जाने लगा.
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