सिनेमा जिसे हम समाज का आईना कहते हैं. इस बात को चरितार्थ किया है फिल्मकार प्रकाश झा (Film Producer Prakash Jha) ने. बिहार के बेतिया जिले से आने वाले फिल्मकार प्रकाश झा (Prakash Jha) ने लिक से हटकर फिल्में बनाई हैं. उन्होंने हमें दिखाया कि कैसे सिर्फ ग्लैमर ही पर्दों पर नहीं बिकता है बल्कि जमीन से जुड़ी कहानियां, पड़ोस में होने वाली कोई घटना को जब हम कैमरे पर उतारते हैं और जनता के बीच परोसते हैं तो वो भी बिकती है. सिर्फ बिकती ही नहीं दर्शकों के बीच खूब पसंद भी की जाती है.
Highlights Of Prakash Jha
- बिहार के बेतिया जिले से आते हैं
- गंगाजल, राजनीति, आरक्षण जैसी सुपरहिट फिल्में दी है
- प्रकाश झा कभी पेंटर बनना चाहते थे
प्रकाश झा का शुरुआती सफर
बिहार के बेतिया (Bettiah City) जिले में 27 फरवरी 1952 को पैदा हुए प्रकाश झा कभी पेंटर बनना चाहते थे. इसी सपने के साथ वह मुंबई आए. लेकिन प्रकाश झा (Prakash Jha) को कहां पता था कि वो पेटिंग तो बनाएंगे लेकिन कैनवास पर नहीं बल्कि किसी और ही स्क्रीन पर. वक्त के साथ प्रकाश झा (Prakash Jha In Hindi Cinema) का मन सिनेमा की दुनिया में रम गया और उन्होंने ए़डिटिंग सीखना शुरू कर दिया. इसके लिए वह पुणे के चर्चित इंस्टीट्यूट FTII पहुंच गए. यहां से प्रकाश झा के जीवन का एक नया सफर शुरू हुआ. शुरुआत में उन्होंने कुछ क्यूमेंट्री फिल्मों में डायरेक्शन किया.

बाद में टीवी की दुनिया में भी कदम रखा. टीवी की दुनिया (Prakash Jha In TV) में उन्होंने ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ (Mungerilal Ke Haseen Sapne) से खूब नाम कमाया.
Story Of Prakash Jha: छोटे पर्दे से बड़े पर्दे का सफर
कहा जाता है बहुत कम लोग होते हैं जो टीवी की दुनिया से निकलकर फिल्म तक पहुंचते हैं और लंबी पारी खेल पाते हैं. ऐसे ही हैं प्रकाश झा (Prakash Jha In Hindi Cinema). टीवी में नाम कमाने के बाद उन्होंने फिल्मों की ओर रुख किया. उनकी पहली फिल्म ‘दामुल’ थी. इस फिल्म के माध्यम से उन्होंने गांव की पंचायत, जमींदारी, स्वर्ण तथा दलित संघर्ष आदि जैसे मुद्दे को उठाया (Real Issues In Hindi Cinema). यह सिलसिला चलता रहा है और बाद में उन्होंने मृत्युदण्ड, गंगाजल, अपहरण और राजनीति जैसी फिल्मों में भी इस तरह के मुद्दे को दिखाया. चाहे मृत्युदंड (Mrityudand Film) हो या अपहरण (Apaharan Film) दर्शकों ने प्रकाश झा की सभी फिल्मों को सराहा है.
Prakash Jha ने मूवी के बाद OTT में भी आजमाई किस्मत
प्रकाश झा ऐसे शख्सियत हैं जो कभी भी नई चीजों को ट्राई करने से बचते नहीं थे. तभी तो फिल्मों में अपना नाम बनाने के बाद भी उन्होंने OTT में अपना हाथ आजमाया. ओटीटी का कल्चर जैसे-जैसे पनपता गया वैसे वैसे कई बड़े सितारे और फिल्मकार ने इस तरफ भी अपना जलवा बिखेरा. इनमें से एक बिहार से आने वाले प्रकाश झा भी हैं. हालांकि, राजनीति से अलग इस बार धर्म को उन्होंने अपना मुद्दा बनाया. ‘आश्रम’ जैसी सच्ची घटना पर आधारित सिरीज में उन्होंने बहुत ही संवेदनशील मुद्दे को दिखाया.
राजनीति और अपहरण जैसी Prakash Jha की कुछ चुनिंदा फिल्में
प्रकाश झा का फिल्मी करियर इतना बड़ा रहा है जिसे एक लेख में समेट पाना तो लगभग मुश्किल है. लेकिन हम आपको आज उनकी चुनिंदा फिल्मों के बारे में बताएंगे.
- परिणति:- साल 1989 में रिलीज हुई इस फिल्म को बेस्ट कॉस्ट्यूम कैटेगरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है. फिल्म में बसंत जोसालकर, सुरेखा सिकरी (Surekha Sikri Films) और सुधीर कुलकर्णी लीड रोल में हैं.

- गंगाजल:- साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म गंगाजल ने लोगों की आत्मा झकझोर कर रख दी थी. साथ ही साथ इसने बॉक्स ऑफिस पर भी खूब धमाल मचाया. इस फिल्म में अजेय देवगन (Ajay Devgan In Gangajal Film) ने कड़क और ईमानदार पुलिस वाले का रोल निभाया है. गंगाजल फिल्म न सिर्फ प्रकाश झा के अच्छे कामों में से एक है बल्कि इसने अजेय देवगन को भी नई पहचान दिलाई.
- आरक्षण:- राजनीति की तरह ही फिल्म ‘आरक्षण’ ने भी प्रकाश झा को खूब मशहूर किया. यह फिल्म 2011 में आई थी. इस फिल्म में प्रकाश झा ने आरक्षण का मुद्दा उठाया है. साथ ही इस फिल्म में शिक्षा व्यवस्था में अवसर की असमानता और निजी व्यावसायिक हितों के लिए शिक्षा के आदर्शों की बलि जैसे गंभीर विषयों पर ध्यान आकर्षित किया गया है. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण और सैफ़ अली ख़ान जैसे बड़े सितारों ने काम किया था.
- मृत्युदंड:- यह फिल्म 1997 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में लैंगिक भेद-भाव जैसे मद्दे को उठाया गया था. इस फिल्म में धक-धक गर्ल के नाम से मशहूर माधुरी दीक्षित लीड रोल में थी.

यह उस जमाने की महिला केंद्रित फिल्मों में से एक है. वहीं इस फिल्म में शबाना आजमी और ओम पुरी जैसे दिग्गज सितारों ने काम किया था.