शिक्षक दिवस पर पढ़ें कविता ‘शिक्षक का कर्तव्य धरा पर’

शिक्षक का कर्तव्य धरा पर

कितने हीं रूप हैं शिक्षक के, गुरू के
इस धरती पर ईश्वर ने जो प्रतिमा बनाई
वह शिक्षक हैं, गुरू हैं पहले
तब हैं माता -पिता, फिर बहन और भाई

यह जीवन तो समर है, संघर्ष है, प्रार्थना है
सृष्टि के कण- कण से जिसने पहचान कराई
वह शिक्षक हैं, गुरू हैं

जिन्होंने ज्ञान देकर हमें दुनिया की आवाज़ बनाई
जिन्होंने इस कर्म- पथ पर चलने की राह दिखाई
वह शिक्षक हैं, गुरू हैं

जिन्होंने जीवन- पथ पर कभी ना थकने का हौसला दिया
दुनिया से पहचान और प्रेम करना सीखा दुविधा मिटाई
वह शिक्षक हैं, गुरू हैं

जिनके पास लेशमात्र भी ना अभिमान है
कर्तव्य उनका देश के लिए क्रांति की लौ जला भविष्य का निर्माण है
वह शिक्षक हैं, गुरू हैं

कदम – कदम पर साथ निभाकर जिन्होंने हिम्मत बढ़ाई
और हमें स्वयं से परिचय करा मंजिल की राह दिखाई
वह शिक्षक हैं, गुरू हैं

जिसने सीखाया हृदय में भरना मानवता और करूणा के भाव
जिसकी प्रेरणा से हम आज रख सकें हैं चाँद पर पाँव
वह शिक्षक है, गुरू है

नमन है इस देश का उनको, जो हैं भविष्य के रखवाले
वंदन है इस देश का उनको,जो हैं मुक्ति की मशाल संभाले

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