पढ़ें ‘मोहब्बत मुझसे अब भी है’ कविता

मेरे आँसूओ को उसने इस कदर सहेजा है।
उसकी सफेद कमीज़ पर, मेरे काजल के निशान अब भी हैं।
मेरी सिसकियों को उसने कुछ इस कदर सम्भाला है।
उसकी कविताओं में मेरा नाम अब भी है।

वो रूठा- रूठा यार मेरा,
मुझसे कहता है,
“मुझे ज़रूरत नही तुम्हारी”
मेरे ज़ख़्मो को देख होता परेशान वो अब भी है।
मेरी हँसी को उसने कुछ इस तरह कैद किया है।
उसके कैमरे में मेरी तस्वीर अब भी है।
जो कहता है, कोई तू फेंक दे ,तस्वीर को
वो सीने से लगा लेता, मेरी तस्वीर अब भी है।
मेरे झुमके को उसने इस कदर संभाला है।
कि उसके आईने के सामने मेरे झुमके के घूँघरू थिरकते अब भी
हैं।

जो कभी हवा से गिर जाए, वो झुमके
उठा फौरन, वो जेब मे छुपाता अब भी है।
वो जो कहता है खत्म करने को रिश्ता ,
मेरे थोड़ा सा दूर जाने से,
वो रो देता, अब भी है।

मैंने माना, तुम ज़िद्दी हो,
क़बूल तो करोगे नहीं,
तुम बस मान जाने का इरादा रखो।
हम तुम्हे मना लेंगे यूंही।

मेरे पास होने से जो तुम इतना मुस्कुराते हो,
छोड़कर जाने के ख्याल से डर जाते हो।
अब तो चाहे जो कहो, “हाँ ” कहना तुम्हें जब भी है।
रहना तुमको संग ही है।
चलो मान भी लो, मोहब्बत मुझसे अब भी है।