इस बार श्रावण महीने की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है. हिन्दु धर्म की मान्यताओं केे अनुसार, यह महीना भगवान की उपासना के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इस महीने में लोग मांस आदि का सेवन नहीं करते हैं. इसके पीछे सिर्फ पुरानी धारणा और धार्मिक मान्यता ही नहींं है बल्कि इसका विज्ञान का भी एक एंगल है.
घर के बड़ों के कहने पर चाहते न चाहते हुए सावन के महीने में मांस खाना छोड़ देते हैं. अब तक आपको ये कहा जाता था कि सावन के महीने में मांस नहीं खाया जाता है. कारण पूछने पर पता चलता था कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करना सही नहीं. पर क्या आप जानते हैं कि विज्ञान के अनुसार भी सावन महीने में मांस नहीं खाना चाहिए.
Sawan में पाचन शक्ति हो जाती है कमजोर
दरअसल, बारिश के मौसम में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. सावन के मौसम में आर्द्रता और नमी बनी रहती है. इसका असर हमारे पाचन शक्ति पर भी पड़ता है. मालूम हो कि वेज की तुलना में नॉन वेज फूड पचने मेें ज्यादा समय लगता है और कमजोर पाचन शक्ति की वजह से नॉन वेज फूड आंतों में सड़ने लगते हैं और हेल्थ पर इसका बुरा असर पड़ता है.
बारिश के मौसम में फफूंदी और फंगल अधिक तेजी से बढ़ते हैं
इसका एक दूसरा कारण यह भी है कि बारिश के मौसम में खाने-पीने की चीजों में बहुत जल्दी फफूंदी और फंगल इंफेक्शन बढ़ने लगता है. इसका असर नॉन-वेज पर भी पड़ता है और मांस आदि जल्दी खराब होने लगते हैं. इस वजह से भी श्रावण के महीने में मांस आदि नहीं खाना चाहिए.
जानवरों को भी रहता है संक्रमण का खतरा
बारिश के मौसम में कीड़े-मकोड़ों की संख्या बढ़ जाती है. यही कीड़े-मकोड़े बीमारी का भी कारण बनते हैं. जानवर घास खाते हुए इन कीड़ों का सेवन कर लेते हैं. इस वजह से वो बीमार हो जाते हैं. यही कारण है कि नॉन-वेज फूड खाने पर संक्रमण इंसानों तक पहुंचने का खतरा श्रावण में बढ़ जाता है.
नोट: यह जानकारी हमने अन्य वेबसाइट में दिए गए जानकारी के आधार पर जुटाई है. हम इसकी पूर्ण रूप से पुष्टि नहीं करते.
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