कल से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की शुरुआत हो रही है. यह पर्व हिंदुओं के लिए एक बड़ा पर्व माना जाता है. शक्ति में विश्ववास रखने वाले लोगों के लिए यह 10 दिन का पर्व आस्था से भरा होता है. ऐसी मान्यता है कि सचमुच मां दुर्गा इन दस दिनों में हमारे बीच इस पृथ्वी लोक पर आती हैं. ऐसे में यह समय है कि लोग पूजा-पाठ करते हैं ताकि माता को प्रसन्न कर सकें और अपने सुख-समृद्धि मांग सकें. शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की शुरुआत कलस्थापन से होती है. आइए, जानते हैं कलस्थापन क्या है और इसकी विधि.
नवरात्रि की पूजा आरंभ करने से पहले कलश स्थापना का महत्व माना जाता है. लेकिन कलस्थापन शुभ मुहूर्त देखकर किया जाता है. आइए, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और नियम जानें.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhrat)
इस वर्ष दुर्गा पूजा (Durga Puja) की शुरुआत 15 अक्टूबर यानी कि रविवार के दिन से हो रही है. ऐसे में कलस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 21 मिनट से सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. वहीं कलस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12:30 मिनट तक रहने वाला है.
कलश स्थापना के नियम
हिंदू धर्म में एक नियम है कि कोई भी काम शुभ मुहूर्त को देखकर किया जाता है. शुभ मुहूर्त में किया गया काम घर में सुख-समृद्धि लाता है. कलस्थापना के लिए पहले एक घड़ा ले लें. ये घड़ा मिट्टी, सोने, चांदी या तांबे का हो सकता है. अब स्टील फैशन में है लेकिन पूजा के लिए इसका इस्तेमाल न करें. कलस्थापना करने से पहलेे उस जगह को गंगा जल से पवित्र कर लें.
शुद्धि करने केे बाद हल्दी से अष्टदल बनाएं. इसके बाद कलश में शुद्ध जल लेकर उसमें हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और फूल डालें. इस कलश पर स्वास्तिक बना लें. कलश को स्थापित करते हुए मां भगवती का आह्वान करें.
कलश की स्थापना के दौरान दिशा का ध्यान रखा जाता है. घर की पूर्व या उत्तर दिशा का चयन कर सकते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, कलस्थापना के लिए इन दिशाओं को बहुत ही शुभ माना जाता है.