प्रेम कविता
तुम भी अलग हो काफी मुझसे,
मैं भी अलग हूँ काफी तुमसे,
फिरभी कुछ है, जो एक सा है हम में
तुम्हे भी मुझसे बाते करना, अच्छा लगता हैं।
मुझे भी तुम्हारे किस्सो को घण्टो सुन्ना अच्छा लगता हैं।
बिना किसी दोहरी परतों के बातो को तुम सीधा सीधा कह जाते हो।
मुझे भी तुम्हारा यह साफ मन अच्छा लगता हैं, तुम में,
तुम्हे भी मेरी,तुम्हारी बातो पर आई हल्की हँसी अच्छी लगती हैं मुझमे,
तुम भी काफी अलग हो मुझसे,
मैं भी काफी अलग हूँ तुमसे ।
फिर भी कुछ तो है, जो एक सा है हम में,
तुम्हे भी मेरा उदास चेहरा पसंद नही आता मुझ में,
मुझे भी तुम्हारा परेशान चेहरा ,नही पसंद, आता तुम में,
तुम भी अलग हो काफी मुझसे ,
मैं भी अलग हूँ काफी तुमसे,
पूरी दिनचर्या को बताने के लिए मेरी घड़ी की सुइया भी मेरे पास ही ठहरती हैं।
और तुम्हारी दिनचर्या को लिखने के लिये,तुम्हारी कलम,मेरे ही पन्नो पर आकर ठहरती हैं।
तुम्हे भी मेरा एक दिन तुमसे बात ना करना,खटकता हैं, मुझमे,
मुझे भी तुम्हारे दूर जाने की बात करना नही भाता हैं, तुममे
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तुम भी काफी अलग हो मुझसे,
मैं भी काफी अलग हूँ तुमसे,
फिर भी कुछ है, जो एक सा है हम में,
और वो जो एक सा हैं,
वो है हमारी कोशिश,
हमारी कोशिश, एक दूसरे के मन को समझने की,
हमारी कोशिश ,एक दूसरे के प्रेम,दुख, और तमाम भावनाओं को समझने की,
यह कोशिश ही तो है,
जो दो अंजान लोगो को, दो अलग लोगो को,
एक सा ही बना देती हैं।
दो अनजान लोग ,दो अलग लोग,
जो एक दूसरे तक को नही जानते,
वे जानने लगते है,
की उसे नीला रंग पसन्द हैं,
की उसे किताबे बहुत पसंद हैं।
की उसे चाय पसंद हैं, की उसे क्रिकेट पसन्द हैं।
की उसे सर्दियां ,बारिश बहुत पसंद हैं।
की उसे गीत बहुत पसंद है।
और ये जानते रहने का सिलसिला ही,
यह हमेशा कोशिश करने का सिलसिला ही,
दो अलग लोगो मे ,कुछ एक सा होने की संभावना बनाये रखती हैं।
अलग होना बुरा नही है।
दो अलग लोग पूर्णतः, एक सा तो नही हो पाते,
अक्सर,
मगर एक सा होने की कोशिश करते रहते है।
ताकि उनका प्रिय,उनका साथी,उनके साथ खुश रह सके,
सहज रह सके।
तुम भी खुशिया ही देखना चाहते हो मुझमें,
मैं भी खुशियां ही देखना चाहती हूँ तुम में,
और यही सारी बाते हैं जो एक सी हैं हम में.