कुछ दिनों पहले ही मणिपुर में दो महिला को नग्न (Manipur Women Violence Viral Video) कर के घुमाने का वीडियो सामने आया था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. अगर हमारी हालत ये है कि हम एक वीडियो के सामने आने से इतने व्यथित और चिंतित हैं तो जरा सोचिए उन पीड़िताओं के बारे में जिन्होंने ये सब झेला है.
मणिपुर के ठीक बाद बिहार (Bihar Viral Video) से भी ऐसी एक घटना सामने आई. घटना बेगूसराय की थी जहां एक म्यूजिक टीचर को उसकी छात्रा के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख ग्रामीणों ने दोनों के कपड़े फाड़े और उन्हें बुरी तरह पीटा. ऐसा एक मामला पश्चिम बंगाल के मालदा (West Bengal Viral Video) में भी देखा गया. यहां दो महिला को तथाकथित चोरी के इंजाम में महिलाओं द्वारा ही अर्धनग्न कर दिया गया और उनकी पिटाई की गई. ताजुब की बात है कि इन दो महिलाओं की पिटाई करने वाली औरतें थीं.
महिलाओं का शरीर ‘युद्ध का मैदान’ बन गया है: निवेदिता शकील
ऐसा नहीं कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ वर्तमान में हो रही है. इससे पहलेे भी कई बार इस तरह की घटना सामने आ चुकी है. विडंबना देखिए कि हमारे शास्त्रों और धार्मिक कहानियों में भी इस तरह की कई घटना का जिक्र है. द्रौपदी का चीर हरण. इस पर निवेदिता शकील कहती हैं, “ महिलाओं के साथ हिंसा पहले भी होती थी. ऐसा नहीं है कि ये नया है. या पहले महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी थी और अब बहुत खराब हो गई है. लेकिन अभी जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं चाहे वो धर्म के नाम पर हो, चाहे जाति के नाम पर हो, महिलाओं का शरीर युद्धा का मैदान बन गया है. ये दुर्भाग्य की बात है.” निवेदिता शकील पटना में रहती हैं और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ जो हिंसा हो रही है उसके पीछे न सिर्फ मॉब लिंचिंग है बल्कि पृितसत्तात्मक विचार भी शामिल है.
Manipur Violence: मणिपुर की घटना पर PM चुप हैं, ये शर्मनाक है
उन्होंने कहा कि मणिपुर में जो घटना हुई वो बेहद शर्मनाक है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इसे लेकर चुप हैं. निवेदिता ने कहा, “ये सबसे शर्मनाक बात है कि सत्ता चुप है, हमारे देश के प्रधानमंत्री चुप हैं. इतने बड़े हादसे पर उनके पास बोलने के लिए वक्त नहीं है.” वहीं बिहार की बात को लेकर उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो घटना हुई वो बहुत शर्मनाक थी.
इस सवाल पर कि क्यों किसी भी समुदाय को ठेस पहुंचाने के लिए लोग उस समुदाय की औरतों के साथ यौन हिंसा करते हैं निवेदिता शकील कहती हैं, “ मातृ सत्तात्मक युग खत्म होने के बाद से देखें तो औरतों को घर की ओर ढकेल दिया गया. उनसे सत्ता छीन लिया गया. इस तरह समाज में गैर-बराबरी का माहौल बना. जैसा समाज बनाएंगे, वो वैसा ही रिएक्ट करेगा. अगर समाज में गैर-बराबरी होगी, जातिय वैमनस्यता होगी तो इस तरह की घटनाएं होंगी ही.”
क्या सोशल मीडिया भी महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को बढ़ावा देता है?
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ केे इस दौर में भी महिलाएं हाशिये पर हैं. घर, बाहर, वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ दोअम दर्जे का बरताव अभी भी जारी है. सोशल मीडिया पर भी महिलाओं के साथ दूर्व्यवहार होता है. इस पर निवेदिता शकील कहती हैं, “सोशल मीडिया (Mob Lynching On Social Media) भी मॉब लिंचिंग करता है. मैं कई बार खुद इससे गुजर चुकी हूं. कई बार मैं अपने विचार सोशल मीडिया पर डालती हूं तो लोग उस पर अभद्रता करते हैं, आपके चरित्र का हरण करते हैं. आप सोशल मीडिया के जरिए झूठ गढ़ सकते हैं, लोगों को भड़का सकते हैं.”
क्या होता है मॉब लिंचिंग?
यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें, जब किसी अनियंत्रित भीड़ द्रारा किसी दोषी को उसके अपराध के लिए तत्काल सजा दी जाए. या फिर किसी व्यक्ति को केवल अफवाह के नाम पर सजा दी जाए तो ऐसी घटनाओं को हम मॉब लिंचिंग के दायरे में रखते हैं. कई बार गुस्साई भीड़ द्वारा हिंसा इस कदर बढ़ जाती है कि तथाकथित दोषी व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है. इस तरह की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया या नियम को ध्यान में नहीं रखा जाता. मॉब लिंचिंग एक गैर कानूनी कृत है.
दृष्टि के एक लेख के मुताबकि, “वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने लिंचिंग को ‘भीड़तंत्र के एक भयावह कृत्य’ के रूप में संबोधित करते हुए केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को कानून बनाने के दिशा-निर्देश दिए थे. इसके बावजूद विभिन्न राज्यों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है और लिंचिंग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं.”
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