आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है. योग दिवस मनाने का एक बड़ा उद्देश्य है लोगों को योग की तरफ ले जाना. योग करने से आप न सिर्फ शरीर से बल्कि मन से भी तंदुरुस्त रहते हैं. साथ ही योग हमारे अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान कर रहा है. वैसे योग को आगे बढ़ाने में कुछ हद तक उन युवाओं का भी हाथ है जिन्होंने इसे गंभीरता से लिया है. ऐसे युवा जिनके लिए योग करना और योग सिखना ही उनकी जिंदगी का एक मात्र सपना बन गया है. आज हम आपको ऐसे ही एक युवा से मिलवाएंगे. पूजा माहौर दिल्ली के रहने वाली हैं और योग करती हैं. पूजा फूल टाइम योगा इंस्ट्रक्टर हैं और महादेवम योगा स्टूडियो चलाती हैं.

इंस्टीट्यूट में योग सिखाते हुए (बाएं), योग की मुद्रा बनाते हुए पूजा (दाएं)
2019 में 2 बार गोल्ड मेडल जीतकर बढ़ाया खुद का और कॉलेज का मान
वो कहते हैं न जो चीज खुद को भली लगे वही दूसरों के लिए भी करना चाहिए. पूजा ने भी कुछ ऐसा ही किया. उन्होंने पहली बार योग अपने कॉलेज लेडी श्री राम कॉलेज के स्पोर्ट्स कंपटीशन के दौरान किया था. हमारे साथ अपना अनुभव साझा करते हुए पूजा बताती हैं, “ उस समय योग कर के मुझे आंतरिक शांति मिली थी. योग मेरे लिए इतना प्रभावशाली रहा कि मैंने योग को ही अपना करियर चुन लिया.” यहां आपको बता दें कि पूजा ने 2019 में इंटर कॉलेज कंपीटशन (टीम) में 2 साल गोल्ड मेडल जीता है.

इसके बाद उन्होंने कोविड-19 के दौरान लगे लॉकडाउन में सेल्फ ट्रेनिंग ली. 2019 में उन्हें उनका पहला क्लास मिला. बतौर पर्सनल योगा ट्रेनर पूजा ने एक ऐसी महिला को योग सिखाना शुरू किया था जो सर्वाइकल की समस्या से जूझ रही थी. योगा ट्रेनिंग केे बाद इस महिला की समस्या में काफी हद तक सुधार हुआ. इस पर पूजा का कहना है, “ जब कोई आपको बताता है कि मेरे योग सिखाने के वजह से उनकी समस्या दूर हो गई. खासकर जब महिलाएं बताती हैं कि वो योग की मदद से अपने मानसिक तनाव से निकल पाई, तो बेहद खुशी मिलती है.” इसके बाद पूजा ने और भी लोगों को योग सिखने की सलाह दी और उन्हें योग सिखाना शुरू किया.
हिंदी और संस्कृत की पढ़ाई कर चुकी हैं पूजा और अब योग से कर रही हैं पीजी
बता दें पूजा ने हिंदी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर रखा है इसलिए भी वो योग की भाषा को बेहतर समझ पाती हैं. उन्हें संस्कृत भाषा की भी अच्छी समझ है. साथ ही वो योग में अपना करियर सुनिश्चि करने के लिए योग से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जब उन्हें पता चला कि योग में भी डिग्री ली जाती है तो उन्होंने इसके लिए अप्लाई किया और अभी उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय से योग में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं.
पूजा कहती हैं कि वो आगे चलकर योग से ही पीएचडी करना चाहती हैं. उनका सपना है कि दिल्ली में योग के लिए इंस्टीट्यूट खोल सकें. पूजा ने कहा, “दिल्ली में बहुत से जिम वाले अपने बोर्ड पर लिख तो देते हैं योगा क्लास, लेकिन आप जाकर देखो वो जिम में ढंग से योग नहीं सिखाते. इसलिए मैं चाहती हूं कि दिल्ली में योग के लिए इंस्टीट्यूट हो.”
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